लहसुनिया केतु का रत्न है, अर्थात इसका स्वामी केतु ग्रह है। संस्कृत में इसे वैदुर्य, विदुर रत्न, बाल सूर्य, उर्दू-फारसी में लहसुनिया और अंग्रेजी में कैट्स आई कहते हैं। जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़ जाए, आपको चोट लग जाए , मन में दुर्घटना का भय बना रहे और जीवन में उन्नति के सभी मार्ग बंद हों तो समझ लें कि केतु के कारण परेशानी चल रही है। रत्न ज्योतिष के अनुसार जन्मकुण्डली के अन्दर जब भी केतु आपकी परेशानी का कारण बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है। केतु का रत्न लहसुनिया अचानक आने वाली समस्याओं से निजात दिलाता है एवं त्वरित फायदा भी कराता है। यह रत्न केतु के दुष्प्रभाव को शीघ्र ही समाप्त करने में सक्षम है। इस रत्न की वजह से व्यक्ति के जीवन को परेशाानियों से मुक्ति मिल जाती है।