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Gomed (गोमेद)

ज्‍योतिष में रत्‍नों का अपना एक अलग स्‍थान है। कहते हैं रत्‍न धारण करने से हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज हम बात करने जा रहे हैं गोमेद रत्‍न के बारे में। ज्‍योतिष में गोमेद को राहु का रत्‍न माना गया है। कहते हैं इस रत्‍न को धारण करने से कई बीमारियों में राहत मिलती है।

इन राशियों को पहनना चाहिए गोमेद

ज्‍योतिष के अनुसार, वृषभ, मिथुन, कन्‍या और तुला व कुंभ राशि के जातकों के लिए गोमेद रत्‍न धारण करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जिन जातकों की कुंडली में राहु पहले, चौथे, पांचवें, नवम और दसवें भाव में हो उन्‍हें भी गोमेद रत्‍न धारण करना चाहिए। इसके साथ ही इस बात भी ध्‍यान रखें कि बिना ज्‍योतिषी की सलाह के गोमेद रत्‍न नहीं धारण करना चाहिए।

गोमेद को धारण करने की विधि

कहते हैं कि गोमेद को शनिवार के दिन स्वाती, आर्दा व शतभिषा नक्षत्र में धारण करना शुभ रहता है और इसका अच्छा फल मिलता है। इस रत्न को चांदी या अष्टधातु की अंगूठी में जड़वाकर धारण करना चाहिए। सबसे पहले गोमेद की अंगूठी को गंगाजल, दूध, शहद के मिश्रित घोल में एक रात के लिए रख दें। इसके बाद ओम रां रावे नम: मंत्र का एक माला जप करें और मध्यमा उंगली में धारण करें।

गोमेद पहनने के फायदे

  • ज्‍योतिष में बताया गया है कि राहु की महादशा में गोमेद को पहनना फायदेमंद माना जाता है।
  • गोमेद को धारण करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त होती है और मन में सकारात्‍मक विचार पैदा होते हैं।
  • कहते हैं गोमेद को धारण करने से एकाग्रता बढ़ती है और अन‍िद्रा की समस्‍या से मुक्ति मिलती है।
  • यदि प्रफेशनल्‍स गोमेद को धारण करते हैं तो उनके सभी अटके हुए प्रॉजेक्‍ट पूरे होते हैं।
  • ज्‍योतिष के अनुसार मंगल पर शनि और राहु-केतु की दृष्टि होने से ब्‍लड कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं। अगर किसी को ब्‍लड कैंसर है तो उसे लहसुनिया या फिर गोमेद धारण करना चाहिए।