Description
ज्योतिष में मूंगे को मंगल का रत्न माना गया है. जिसे संस्कृत में प्रवालक, प्रवाल, भौमरत्न, अंगारक मणि आदि कहते हैं. शुद्ध मूंगा सिंदूरी रंग का होता है. यह लाल व गुलाबी रंग से हटकर भगवे रंग का प्राय: पाया जाता है. चूंकि मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति माना गया है, ऐसे में इस रत्न को पहनने से व्यक्ति के भीतर शत्रुओं को परास्त करने की गजब शक्ति प्राप्त होती है. उसके भीतर अदम्य साहस का संचार होता है. यदि किसी जातक पर मंगल का अशुभ प्रभाव पड़ रहा हो तो उसे अपनी कुंडली के अनुसार मूंगा धारण करना चाहिए. मूंगा पहनने से व्यक्ति को असीम ऊर्जा मिलती है. मूंगे को विधि-विधान से पूजा करके धारण करने से तमाम तरह के अपयश, विपदाओं और दुर्घटनाओं आदि से मुक्ति मिलती है
मूंगा रत्न धारण करने की विधि
मूंगा रत्न को हमेशा मंगलवार को खरीदना चाहिए. मूंगे को खरीदने के बाद मंगल से मंगल तक लालवस्त्र में लपेट कर अपने पास रखें. इसकी ज्यादा परीक्षा की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि यह हमेशा शुभ फल ही देता है. इसके बाद मूंगा रत्न को सोने की अंगूठी में कम से कम सवा चार या सवा आठ रत्ती का बनवाकर पहनना चाहिए. मूंगा रत्न की प्राणप्रतिष्ठा ‘भौम-पुष्य’ या किसी भी पुष्य नक्षत्र में की जा सकती है. भौमे अश्विनी संयोग अमृतसिद्ध योग में इसका निर्माण करना व पहनना अत्यन्त शुभ होता है. मान्यता है कि मूंगे को जड़वाकर धारण करने के बाद इसका असर 3 वर्ष 3 दिन तक रहता है.. इसे धारण करने के बाद क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का जप करें. स्त्रियों के लिए बाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करना बेहतर होता है.
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